डबवाली, 2 फरवरी haryanakisantv.com 23 दिसम्बर 1995 को डबवाली को इतिहास की भयंकर तबाही का सामना करना पड़ा था। चंद मिनटों के भीतर ही सैंकड़ों मासूम बच्चे, महिलाएं व पुरूष मौत के मुंह में चले गए। डबवाली अग्रिकांड की इस घटना का नाम सुनते ही आज भी लोग सहम जाते हैं। वर्ष 1995 में हुए इस हादसे से डबवाली आज भी पूरी तरहां से उबर नहीं पाई है।
23 दिसम्बर की डरावनी दोपहर।
डबवाली अग्रिकांड की घटना 23 दिसम्बर 1995 को दोपहर 1 बजकर 47 मिनट पर हुई थी। चौटाला रोड पर स्थित राजीव पैलेस में डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल का वार्षिक उत्सव मनाया जा रहा था। उत्सव के दौरान शार्ट-सॢकट की वजह से एक चिंगारी उठी। यह चिंगारी यहां लगाए गए पंडाल पर जा गिरी। महज कुछ ही सेकंड में इस चिंगारी ने पूरे पंडला को अपनी जद में ले लिया। लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर एकाएक ये हो क्या गया।
देखते ही देखते पंडाल धू-धू कर जलने लगा। पंडाल के भीतर बड़ी संख्या में बच्चे, महिलाएं व पुरूष आग की लपटों से घिर गए। उस ह्दय विदारक और देश के सबसे भयानक अग्रिकांड ने 442 लोगों की जानों को लील लिया था। करीब 150 लोग बुरी तरह से झुलस गए थे। अग्रिकांड में मारे गए 442 लोगों के शवों का जब अंतिम संस्कार किया गया तो पूरे शहर में चारों और सन्नाटा पसर गया। शहर का हर व्यक्ति गहरे गम व सदमे में डू गया। इस भयंकर अग्रिकांड ने ऐसे गहरे जख्म दिए जो कई वर्ष बीतने के बाद आज भी हरे के हरे ही है।

डी.ए.वी. की लापरवाही बनी हादसे की वजह।
अग्रिकांड पीडि़त बतातेहैं कि हादसा आयोजकों की लापरवाही के कारण हुआ। जिस पैलेस में स्कूल का वाॢषक उत्सव मनाया जा रहा था उसका मुख्य द्वार कार्यक्रम शुरू होने के बाद बंद कर दिया गया था। जबकि स्टेज के पास एक छोटा गेट खुला रखा गया। इसी गेट से कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि पहुंचे तत्कालीन उपायुक्त एम.पी. बिदलान को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए सुरक्षा कर्मी गेट को रोककर खड़े हो गए थे। इस दौरान लोगों को बाहर निकलने की और कोई जगह नहीं मिल पाई। लोग पंडाल के भीतर ही चीखते पुकारते रहे। अधिकतर लोगों की मौत धुएं से दम घुटने की वजह से भी हुई।

पीडि़तों की सरकारों के प्रति नाराजगी।
अग्रिकांड पीडि़तों को अगर किसी के प्रति सबसे ज्यादा गुस्सा और नाराजगी है तो वह अब तक सत्ता में रही सभी सरकारों से है। पीडि़तों को डी.ए.वी. प्रशासन के प्रति भी गुस्सा है। अग्रिकांड पीडि़तों का कहना है कि घटना के वक्त पीडि़तों से सरकार ने वायदे तो बहुत बड़े-बड़े किए। लेकिन आज तक किसी भी सरकार ने उनके लिए कुछ नहीं किया।
अग्रिकांड के समय देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने सभी अग्रिकांड पीडि़तों को नौकरी देने का वायदा किया था। जो कि आज तक पूरा नहीं हुआ। पीडि़तों को जो कुछ मिला वह उनके अपने संघर्ष से मिला। चाहे डी.ए.वी. से मुआवजा राशि लेने की बात हो या फिर झुलसे हुए लोगों के इलाज की बात हो। अदालत के आदेश से ही डी.ए.वी. मुआवजा देने के लिए माना। डी.ए.वी. प्रशासन की ओर से हर बार मुआवजा देने में आनाकानी की गई।
